Family holiday in Udaipur

Family holiday in Udaipur

24 जनवरी 2015 को हम लोग उदयपुर के लिए निकले, हमारी टिकट निज़ामुद्दीन मेवाड़ एक्सप्रेस मैं थी। मैं (अवनीश), मेरी पत्नी रिचा, उनकी बहन की फैमिली देवेश जी, श्वेता दी और उनका लड़का तेजस को मिलाकर हम पांच लोग थे। हम लोग काफी उत्साहित थे, ट्रैन मैं बैठते ही हम लोगो ने अपने टिफिन बॉक्स खोलने शुरू कर दिए। ट्रैन मैं खाना शायद ज्यादा अच्छा लगता है जल्दी ही हमारा सारा नाश्ता खत्म हो गया। देर होने की वजह से रात का खाना पैक करवाना रह गया था तो जल्दी से हमने ऑनलाइन कुछ खाना बुक किया जो हमें रात 9 बजे मथुरा स्टेशन पर डिलीवर होना था। तब तक हम लोग कार्ड खेले और आस पास वालो से उदयपुर के बारे मैं जानकारी ली। रात 9 बजे खाना खा के हम लोग जल्दी ही सो गए क्यों की काफी सपने लेने थे अगले 3 दिन के।

Sahaliyo Ki Bavadi

DAY 1 :- ट्रैन टाइम पर होने से हम लोग सुबह 7 बजे उदयपुर सिटी पहुंच गए और वहां से होटल के लिए टैक्सी ली। होटल हमने पहले से ही goibibo.com से बुक कर रखा था लेकिन जो रूम्स हमने बुक किये थे वो हमे ज्यादा अच्छे नहीं लगे तो हमने उन्हें अपग्रेड किया। कुछ देर आराम करके हम लोगो ने आज का दिन उदयपुर लोकल घूमने का सोचा, लोकल घूमने के लिए वहां कई तरीके हैं टैक्सी, ऑटो या किराए की बाइक। हम लोगो ने 1 ऑटो बुक किया Rs 500 में जिसने कुछ 12 पॉइंट कवर करने थे। सबसे पहले हम गुलाब बाग़ गए, ये जगह काफी अच्छी और रोमांचकारी थी क्योकि यहाँ हमने Toy Train की सवारी की जो एक छोटे से चिड़ियाघर से होकर निकलती थी। यहाँ के बाद हम लोगो ने JMB Restaurant में ब्रेकफास्ट किया, वहां का ढोकला और चटनी काफी अच्छा लगा। थोड़ी पेट पूजा के बाद हम लोग फतेहसागर लेक गए, ये काफी बड़ा और सुन्दर लेक था। बारिश का मौसम होने की वजह से ये और मनमोहक लग रहा था। यहाँ अलग -2 तरह की बोटिंग थी, हमने फ़ास्ट बोट राइड ली जिसमे हम 6 लोग थे। लगभग 2 से 3 मिनट हम पानी में रहने का अनुभव काफी अच्छा था।

Fateh Sagar Lake

इसके बाद हम लोग म्यूजियम गए और वहाँ Puppet Show भी देखा, ये सब एक अलग अनुभव था क्योकि हमने ये पहली बार देखा था। फिर हम निकले सहेलियों की बावड़ी देखने, वहाँ हमने एक गाइड किया जिसने हमे काफी एंटरटेन किया। ये जगह अभी तक गए जगहों में सबसे ज्यादा पसंद आयी। हम सब अब थक चुके थे और भूख भी लगी थी इसलिए हम नटराज रेस्टोरेंट गए जिसके बारे में लोग काफी तारीफ कर रहे थे। हमने वहां की पारम्परिक राजस्थानी थाली आर्डर की 5-6 तरह की सब्जिया, चटनी, रोटी, चावल काफी कुछ था पर हम सबको इतना मजा नहीं आया जितना हम लोगो ने सुना था।

Boating in Lake Pichola

खाना खाने के बाद हम लोग सिटी पैलेस देखने के लिए निकले जहां शाम 4:30 लास्ट टिकट मिलती है यहाँ साथ मैं म्यूजियम एंड क्रीस्टल गैलरी भी है। सिटी पैलेस से ही लेक पिचोला मैं बोट चलती है जो जग मंदिर से होते हुए राउंड लेती है। हम लोगो ने यहाँ काफी इंजॉय किया, महाराणा प्रताप के बारें में जाना - उनके परिवार के लोग आज भी इस महल में रहतें हैं। इसके बाद कुछ देर यहाँ के बाजार घूमें और फिर रात को वापस अपने होटल राज पैलेस आ गए। डिनर हम लोगो ने होटल में ही किया जिसका एम्बिएंस और खाना काफी अच्छा था।

DAY 2 :- आज के दिन हमने नग्दा, एकलिंगजी, नाथद्वार मंदिर और हल्दीघाटी घूमना था, इसके लिए सुबह 8 बजे निकलना ही ठीक रहता किन्तु तत्काल की रिटर्न टिकट बुक करना था इसलिए हमे 10 बजे के बाद ही निकलना पड़ा। एकलिंगजी, नाथद्वार मंदिर पहुँचने में देर होने की वजह से हम लोगो ने यहां बाहर-2 से ही दर्शन किये। एकलिंगजी में हमने कुलढ़ की चाय पी जिसमे कमाल का स्वाद था।

Lake Pichola

आज के दिन सबसे बेस्ट जगह हल्दीघाटी थी यहाँ हमने एक show देखा जिसमे पूरी हल्दीघाटी की लड़ाई दिखाई गयी और एक शार्ट फिल्म भी देखी जो उनकी जीवन पर थी। हल्दीघाटी में हमने वहां का नेचुरल गुलाब का शरबत भी पिया। वापस उदयपुर आकर हम लोगो ने लेक पिचोला में बोटिंग की, लगभग 30 मिनट की इस राइड में हमें सबसे ज्यादा मजा आया। इसके बाद हम लोग रोप वे से मंदिर गए जो 1 पहाड़ी के ऊपर बना था, यहाँ से पूरे उदयपुर शहर का नजारा कमाल का था। एक तरफ लेक पिचोला और दूसरी तरफ पूरा उदयपुर शहर, मन को रोमांच से भर देने वाला दृश्य था।

पूरे दिन घूमने के बाद अब फिर समय था रात के खाना खाने का तो काफी पूछने और सोचने के बाद हम लोग बावर्ची रेस्टुरेंट गए। यहाँ भी काफी भीड़ था लेकिन खाने की क्वालिटी और टेस्ट भी अच्छा था। आज का दिन भी उदयपुर में अच्छा रहा।

Way to Kumbhalgarh

DAY 3 :- आज के दिन हमें घूमना था कुम्भलगढ़ और रणकपुर जैन मंदिर जो की उदयपुर से 90 km था। हम लोग जल्दी निकले और हमने होटल से भी चेकआउट किया क्योंकि हम लोगो को वापस रेलवे स्टेशन ही आना था। होटल से निकलते ही हमे एक फेमस शॉप का पता चला जहाँ का पोहा काफी अच्छा था, हम लोगो ने आज पोहे का ही नाश्ता किया। कुम्भलगढ़ का रास्ता काफी अच्छा था हमने रास्ते में काफी फोटोग्रापस लिए। वहां पहुंच कर हमने कुम्भलगढ़ का क़िला देखा, क़िले पास बनी दिवार विश्व की दूसरी सबसे बड़ी दीवार है जो की ग्रेट वाल ऑफ़ चाइना के बाद आती है। किले आस पास काफी छोटे -बड़े मंदिर थे जो कुछ -2 दूरी पे बने थे यहाँ हम लोग कुछ देर रुके।

 

 

Wall of Kumbhalgarh

Kumbhalgarh Fort

कुछ देर आराम करने के बाद हम लोग रनकपुर के लिए निकले, हमने लंच के पता किया तो पता लगा की रनकपुर मंदिर में खाना मिलता है जिसकी लोगो ने काफी तारीफ की। 1 बजे तक हम लोग वहाँ पहुँच गए, जाते ही पता चला की खाना 1:30 तक ही मिलता है तो हमने सबसे पहले खाना ही ठीक समझा। सच कहूँ तो ये खाना सच में इतना अच्छा था की हम सबको अभी तक का सबसे अच्छा खाना लगा। रनकपुर जैन मंदिर का आर्किटेक्चर सच में कमाल का था , वहां हमें इंडियंस से ज्यादा फॉरनर्स ही दिखे। अगर उदयपुर घूमने आते है तो यहाँ जरूर जाएं।

Ranakpur Jain Temple

यहाँ से हम लोग वापस उदयपुर पहुंचे, हमारी ट्रैन को अभी काफी टाइम था तो कुछ देर हम बापू बाजार घूमें, दया रेस्टुरेंट से खाना पैक करवाया, वहां की फेमस जलेबी और JMB Restaurant की प्याज कचोरी भी पैक करवाई। हमारा ये उदयपुर का सफर काफी अच्छा और कभी न भूलने वाला था।

3 views | Avneesh Minocha | February 12, 2015

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