When - 15th November
Where -
All Over India
देव दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह देवताओं के प्रति श्रद्धा और भक्तिभाव का अनोखा प्रतीक है। इस पर्व में देवताओं का स्वागत दीपों से किया जाता है, जो अध्यात्म और संस्कृति का अद्वितीय संगम प्रस्तुत करता है। वाराणसी का यह महापर्व न केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालुओं के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है। देव दीपावली का भव्य आयोजन हर वर्ष श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है, और इसे श्रद्धा एवं भक्ति के इस अद्वितीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।
देव दीपावली एक विशिष्ट और पवित्र पर्व है, जो कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इसे ‘देवताओं की दीपावली’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह मान्यता है कि इस दिन स्वयं देवता पृथ्वी पर उतरते हैं और गंगा तट पर दीपों की ज्योति से वातावरण को पवित्र और दिव्य बना देते हैं। वाराणसी में गंगा के किनारों पर देव दीपावली का भव्य आयोजन होता है, जहां हजारों दीप जलाए जाते हैं। यह पर्व, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजता है।
देव दीपावली का संबंध भगवान शिव और त्रिपुरासुर नामक राक्षस के विनाश से है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर का वध किया था, जिससे देवता अत्यंत प्रसन्न हुए और इस दिन को दीप जलाकर उत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इसलिए इस दिन का महत्व सिर्फ पूजा और आराधना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अच्छाई की बुराई पर विजय और धर्म की प्रतिष्ठा का प्रतीक भी है। देव दीपावली के दिन गंगा तट पर दीप जलाकर देवताओं के स्वागत की परंपरा को निभाया जाता है।
देव दीपावली का मुख्य आयोजन वाराणसी के गंगा घाटों पर होता है। यह आयोजन सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से अनूठा है। लाखों श्रद्धालु इस दिन गंगा तट पर एकत्र होते हैं और दीपदान करते हैं। इसके साथ ही, सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन-कीर्तन, और धार्मिक उपदेशों का आयोजन किया जाता है, जो श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति और संतुष्टि प्रदान करते हैं। पूरे गंगा तट को रंग-बिरंगे दीयों से सजाया जाता है, और घाटों पर दीपों की कतारें एक अलौकिक दृश्य प्रस्तुत करती हैं।
देव दीपावली का आयोजन न केवल धार्मिक है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस पर्व पर प्राकृतिक दीयों का उपयोग किया जाता है, जिससे पर्यावरण में किसी प्रकार की हानि नहीं होती है। यह पारंपरिक रूप से पर्यावरण के प्रति श्रद्धा और जिम्मेदारी का एक प्रतीक भी है।
When - 3rd May
Where -
All Over India
Eid ul-Fitr, also known as the "Festival of Breaking ...
When - 16th May
Where -
All Over India
Buddha Jayanti, also known as Buddha ...
When - 1 - 3
Where -
All Over India
The Moatsü Mong ...
When - 1 - 31
Where -
All Over India
This festival is celebrated to create ...
Chunar, located on the banks of the Ganges, 35 kilometers ...
1. Srinagar Srinagar is main tourist destination in Kashmir valley. ...
दिल्ली हाट, आईएनए में आयोजित होने वाला बिहार उत्सव 2025 बिहार की ...
ग्रेटर नोएडा के सिटी पार्क में 28 फरवरी को एक भव्य फूल शो का आयोजन ...
आदि महोत्सव 2025 सिर्फ एक उत्सव नहीं है; यह भारत की जड़ों का जश्न ...
अमृत उद्यान, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए प्रसिद्ध है, ...
Copyright © cubetodice.com 2017