पोंगल और मकर संक्रांति 2025: तिथि, महत्व, इतिहास और परंपराएँ

पोंगल और मकर संक्रांति 2025: तिथि, महत्व, इतिहास और परंपराएँ
पोंगल और मकर संक्रांति 2025: तिथि, महत्व, इतिहास और परंपराएँ

When: 14th Jan - 17th Jan
Where: All Over India

📅 तिथि व समय (2025 में कब है?)

  • मकर संक्रांति: बुधवार, 15 जनवरी 2025

  • पोंगल उत्सव: मंगलवार, 14 जनवरी से शुक्रवार, 17 जनवरी 2025 (चार दिन)

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति को सूर्यदेव के उत्तरायण होने का पर्व माना जाता है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
यह पर्व सूर्य उपासना, दान-पुण्य और नई फसल के स्वागत का प्रतीक है।

भारत में यह अलग-अलग नामों से मनाया जाता है:

  • पंजाब → लोहड़ी

  • गुजरात → उत्तरायण (पतंग महोत्सव)

  • तमिलनाडु → पोंगल

  • उत्तर प्रदेश/बिहार → खिचड़ी पर्व

  • असम → माघ बिहू

पोंगल उत्सव (तमिलनाडु)

पोंगल चार दिन तक चलने वाला एक प्रमुख फसल उत्सव है।

1. भोगी पोंगल (14 जनवरी)

  • घर की सफाई और पुरानी वस्तुओं को त्यागने का दिन।

  • अलाव जलाकर नकारात्मकता को दूर किया जाता है।

2. सूर्य पोंगल (15 जनवरी)

  • सूर्य देव की पूजा होती है।

  • नए चावल, दूध और गुड़ से पोंगल नामक व्यंजन बनाया जाता है।

  • "पोंगल ओ पोंगल" के जयकारों के साथ बर्तन से उफनते दूध को शुभ माना जाता है।

3. मट्टू पोंगल (16 जनवरी)

  • इस दिन गाय-बैल की पूजा होती है क्योंकि कृषि में इनका विशेष योगदान है।

  • पशुओं को सजाकर ग्रामीण खेल और परंपराएँ होती हैं।

4. काणुम पोंगल (17 जनवरी)

  • परिवार और रिश्तेदारों के साथ मेल-जोल का दिन।

  • लोग पिकनिक मनाते हैं और रिश्तों को मजबूत करते हैं।

मकर संक्रांति की परंपराएँ

  • गंगा स्नान और सूर्य को अर्घ्य देना।

  • तिल, गुड़ और खिचड़ी का दान।

  • पतंग उड़ाने की परंपरा विशेषकर गुजरात और उत्तर भारत में।

  • मान्यता है कि इस दिन किए गए दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

आध्यात्मिक संदेश

  • पोंगल और मकर संक्रांति दोनों ही नई फसल, नई ऊर्जा और नए आरंभ का प्रतीक हैं।

  • यह पर्व हमें प्रकृति, सूर्य और पशु-पक्षियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने की प्रेरणा देता है।

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