
When:
24th April
Where:
All Over India
तिरुवल्लुवर दिवस केवल एक कवि को स्मरण करने का दिन नहीं है, बल्कि यह उन सार्वभौमिक मूल्यों को पुनः स्वीकार करने का अवसर है, जो मानवता, शांति और न्याय का संदेश देते हैं।
तिरुवल्लुवर दिवस तमिलनाडु और तमिल समुदायों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पर्व है। यह दिन महान कवि और दार्शनिक तिरुवल्लुवर की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने अमर कृति तिरुक्कुरल की रचना की। 2025 में यह दिवस [तारीख, प्रायः पोंगल उत्सव के बाद 15–16 जनवरी] को मनाया जाएगा।
तिरुवल्लुवर कौन थे?
तिरुवल्लुवर (वल्लुवर) तमिल साहित्य के महानतम कवियों में गिने जाते हैं। माना जाता है कि वे लगभग 2000 वर्ष पूर्व जीवित थे। उनकी रचना तिरुक्कुरल में 1330 दोहे (कुरल) शामिल हैं, जिनमें जीवन को सार्थक और नैतिक ढंग से जीने की शिक्षा दी गई है।
तिरुक्कुरल तीन भागों में विभाजित है –
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अरम (धर्म): नैतिकता और आचार संबंधी शिक्षा।
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पुरुल (अर्थ): राजनीति, समाज और शासन से जुड़े सिद्धांत।
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इनबम (प्रेम): प्रेम, परिवार और मानवीय भावनाएँ।
तिरुवल्लुवर दिवस का महत्व
इस दिन तिरुवल्लुवर की शिक्षाओं और उनके साहित्यिक योगदान को याद किया जाता है। उनके विचारों में समानता, अहिंसा, अनुशासन, मानवता और नैतिकता को विशेष स्थान दिया गया है।
तमिलनाडु सरकार इस दिन को राजकीय अवकाश के रूप में मनाती है। विद्यालयों और महाविद्यालयों में वाद-विवाद, निबंध प्रतियोगिता और तिरुक्कुरल पाठ जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कैसे मनाया जाता है तिरुवल्लुवर दिवस?
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प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि: तमिलनाडु और अन्य स्थानों पर तिरुवल्लुवर की प्रतिमाओं को मालाओं और फूलों से सजाया जाता है।
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सांस्कृतिक आयोजन: साहित्यिक गोष्ठियाँ और वाद-विवाद आयोजित होते हैं।
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शैक्षिक गतिविधियाँ: बच्चों को तिरुक्कुरल पढ़ने और याद करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
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राजकीय कार्यक्रम: सरकार और सांस्कृतिक संगठन विशेष समारोह आयोजित करते हैं।
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