When - 7th November
Where -
All Over India
छठ पूजा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो भक्ति, त्याग और आभार को महत्व देता है। सूर्य देव की पूजा में भक्तों का समर्पण इस पर्व की महानता को दर्शाता है। छठ पूजा न केवल परिवारों को जोड़ता है, बल्कि समाज में एकता और सामूहिकता का संदेश भी देता है।
छठ पूजा, जिसे सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित एक प्रमुख पर्व माना जाता है, भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य देवता को श्रद्धांजलि अर्पित करना और उनसे जीवन, ऊर्जा और स्वास्थ्य की कामना करना है। यह चार दिनों का पर्व दिवाली के तुरंत बाद मनाया जाता है और इसमें कठोर उपवास, नदी में स्नान, और सूर्य देव को विशेष भेंट अर्पित करना शामिल है।
हिंदू धर्म में सूर्य देव को जीवन और ऊर्जा का स्रोत माना गया है। सूर्य की उपासना से स्वास्थ्य, समृद्धि और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। छठ पूजा छठी मैया को भी समर्पित है, जो जीवन का पोषण और नई शुरुआत का प्रतीक हैं। छठ पूजा के दौरान, भक्त परिवार की खुशहाली और इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
छठ पूजा का आयोजन चार दिनों में विभाजित होता है। प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व होता है और इसे बड़े ही श्रद्धा और अनुशासन के साथ मनाया जाता है। चलिए जानें इन चार दिनों के अनुष्ठान:
पहले दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त नदी या किसी जलाशय में पवित्र स्नान करते हैं और अपनी पवित्रता का प्रतीक मानते हुए शुद्ध आहार ग्रहण करते हैं। भोजन में सादगी और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है; इसमें प्याज, लहसुन या किसी भी तामसिक पदार्थ का उपयोग नहीं होता है।
दूसरे दिन को लोहंडा या खरना कहते हैं, जिसमें उपवासी भक्त दिन भर निर्जला उपवास रखते हैं। शाम के समय, सूर्य देव की पूजा के बाद प्रसाद के रूप में खीर, पूरी, और केले ग्रहण किए जाते हैं। यह प्रसाद सभी के बीच बाँटा जाता है, जो समुदाय में एकता और मेलजोल का प्रतीक है।
तीसरे दिन का महत्व सबसे अधिक होता है। भक्त 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को नदी या तालाब के किनारे सूर्यास्त के समय संध्या अर्घ्य (संध्या पूजा) करते हैं। इस अर्घ्य में फलों, सब्जियों, और मिठाइयों से भरी टोकरी अर्पित की जाती है। भक्त जल में खड़े होकर सूर्य देव की आराधना करते हैं और परिवार के कल्याण और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन उषा अर्घ्य (प्रातःकालीन अर्घ्य) के साथ संपन्न होता है। इस दिन भक्त उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं, जो नए आरंभ और जीवन के प्रति आभार का प्रतीक है। इसके बाद उपवास तोड़ते हैं और सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन के समापन के साथ, भक्त सूर्य देव और छठी मैया से समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं।
छठ पूजा सामुदायिक एकता और समर्पण का पर्व है। इस अवसर पर लोग नदी या जलाशय के किनारे सामूहिक रूप से पूजा करते हैं। वातावरण भक्ति-भाव से ओतप्रोत होता है, और मंदिरों में विशेष सजावट की जाती है। इस पवित्र अवसर पर पूरे परिवार के लोग मिलकर पूजा की तैयारी करते हैं, जिसमें बांस की टोकरियाँ, मिट्टी के दीपक और अन्य पूजा सामग्री का विशेष महत्व होता है।
छठ पूजा की एक विशेषता यह है कि इसमें मूर्ति पूजा नहीं की जाती है। इसके बजाय, यह प्रकृति के तत्वों, जैसे सूर्य और जल, की पूजा पर केंद्रित होती है, जो मानव और प्रकृति के बीच घनिष्ठ संबंध का प्रतीक है। इस पूजा के अनुशासन और सादगी में भक्तों के आत्मिक और मानसिक विकास की भावना निहित होती है।
When - 16th May
Where -
All Over India
Buddha Jayanti, also known as Buddha ...
When - 1 - 31
Where -
All Over India
सिक्किम का ...
It is said to be Asia's largest women's market also known as ...
दिल्ली हाट, आईएनए में आयोजित होने वाला बिहार उत्सव 2025 बिहार की ...
ग्रेटर नोएडा के सिटी पार्क में 28 फरवरी को एक भव्य फूल शो का आयोजन ...
आदि महोत्सव 2025 सिर्फ एक उत्सव नहीं है; यह भारत की जड़ों का जश्न ...
अमृत उद्यान, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए प्रसिद्ध है, ...
Copyright © cubetodice.com 2017