अहोई अष्टमी

अहोई अष्टमी
अहोई अष्टमी

When: 24th October - 31st October
Where: All Over India

अहोई अष्टमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे विशेष रूप से उत्तरी भारत में महिलाएं अपने बच्चों, खासकर पुत्रों की लंबी आयु और कल्याण के लिए मनाती हैं। यह त्योहार दीपावली से आठ दिन पहले, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

महत्व:

  • अहोई अष्टमी माता अहोई की पूजा के लिए समर्पित है, जो मां अपने बच्चों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए करती हैं।
  • परंपरागत रूप से यह व्रत पुत्रों के लिए रखा जाता था, लेकिन अब इसे सभी बच्चों के कल्याण के लिए भी रखा जाता है।

कथा:

अहोई अष्टमी के साथ एक प्रसिद्ध कथा जुड़ी हुई है। प्राचीन समय में एक महिला अपने बच्चों के लिए जंगल से मिट्टी लेने गई थी। वहां गलती से उसके द्वारा एक साही का बच्चा मर गया। इस घटना से उसे श्राप मिला और उसके घर में दुर्भाग्य आने लगा। उसकी संतान बीमार पड़ गईं। इस स्थिति से उबरने के लिए उस महिला ने देवी अहोई की उपासना की और कठोर व्रत रखा। देवी अहोई उसकी पूजा से प्रसन्न हुईं और उसकी संतानों को जीवनदान दिया।

पूजा विधि और अनुष्ठान:

  1. व्रत: अहोई अष्टमी का व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं और शाम को तारे या चंद्रमा देखने के बाद व्रत तोड़ती हैं।

  2. अहोई माता की चित्रकारी: अहोई माता की तस्वीर दीवार या कागज पर बनाई जाती है, जिसमें देवी के साथ उनके बच्चे और साही के बच्चे का चित्रण होता है। साथ ही सूरज, चांद और तारे भी बनाए जाते हैं।

  3. अहोई माता को भोग: शाम के समय विशेष भोग जैसे मिठाई, फल, पानी का कलश और दीपक माता अहोई को अर्पित किए जाते हैं। भोग के बाद, यह प्रसाद सभी परिवारजनों में बांटा जाता है।

  4. पूजा: शाम के समय महिलाएं पूजा करती हैं और अहोई अष्टमी की कथा सुनती हैं। पूजा के दौरान दीपक जलाए जाते हैं और माता अहोई की आराधना की जाती है।

  5. तारे देखना: तारे दिखने के बाद व्रत खोला जाता है। तारों को देखने का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसे देवी की कृपा के प्रतीक के रूप में माना जाता है।

  6. चंद्रमा का दर्शन: कुछ क्षेत्रों में, चंद्रमा दिखने के बाद व्रत खोला जाता है। चांद को जल और चावल अर्पित कर व्रत समाप्त होता है।

आधुनिक समय में अहोई अष्टमी:

वर्तमान समय में अहोई अष्टमी का पालन थोड़ा बदल गया है। महिलाएं अब अपनी बेटियों के लिए भी प्रार्थना करती हैं और यह पर्व संतान के स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार की एकता के लिए मनाया जाता है। कई लोग इस दिन दान-पुण्य भी करते हैं और जरूरतमंदों की सहायता करते हैं।

यह पर्व करवा चौथ से मिलता-जुलता है, जहां करवा चौथ में पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखा जाता है, वहीं अहोई अष्टमी में बच्चों के स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना की जाती है।

Other Festivals & Events of August

Copyright © cubetodice.com 2017