Muharram

Muharram

When - 9th August
Where - All Over India

Muharram is gazetted Holiday, marking the start of the Islamic year. It is one of the four sacred months of the year during which warfare is forbidden.

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नए साल की शुरुआत मुहर्रम के महीने से ही होती है. इसे साल-ए-हिजरत (जब मोहम्मद साहब मक्के से मदीने के लिए गए थे) भी कहा जाता है. मुहर्रम किसी त्योहार या खुशी का महीना नहीं है, बल्कि ये महीना बेहद गम से भरा है. इतना ही नहीं दुनिया की तमाम इंसानियत के लिए ये महीना इबरत (सीखने) के लिए है.

आज से लगभग 1400 साल पहले मुहर्रम के महीने में इस्लामिक तारीख की एक ऐतिहासिक और रोंगटे खड़े कर देने वाली जंग हुई थी. इस जंग की दास्तां सुनकर और पढ़कर रूह कांप जाती है. बातिल के खिलाफ इंसाफ की जंग लड़ी गई थी, जिसमें अहल-ए-बैत (नबी के खानदान) ने अपनी जान को कुर्बान कर इस्लाम को बचाया था.

इस जंग में जुल्म की इंतेहा हो गई, जब इराक की राजधानी बगदाद से करीब 120 किलोमीटर दूर कर्बला में बादशाह यजीद के पत्थर दिल फरमानों ने महज 6 महीने के अली असगर को पानी तक नहीं पीने दिया. जहां भूख-प्यास से एक मां के सीने का दूध खुश्क हो गया और जब यजीद की फौज ने पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन को नमाज पढ़ते समय सजदे में ही बड़ी बेहरमी से कत्ल कर दिया.

इस जंग में इमाम हुसैन के साथ  उनके 72 साथियों को भी बड़ी बेहरमी से शहीद कर  दिया गया. उनके घरों को आग लगा दी गई और परिवार के बचे  हुए लोगों को कैदी बना लिया गया. जुल्म की इंतेहा तब हुई जब इमाम हुसैन के साथ उनके उनके महज 6 महीने के मासूम बेटे अली असगर, 18 साल के अली अकबर और 7 साल के उनके भतीजे कासिम (हसन के बेटे) को भी बड़ी बेरहमी से शहीद किया गया.

इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की कुर्बानी की याद में ही मुहर्रम मनाया जाता है. मुहर्रम शिया और  सुन्नी दोनों समुदाय के लोग मनाते हैं. हालांकि, इसे मनाने का तरीका दोनों का काफी अलग होता है. 

10 मुहर्रम रोज-ए-आशुरा:-

यूं तो मुहर्रम का पूरा महीना ही बहुत पाक और गम का महीना होता है, लेकिन मुहर्रम 10वां दिन जिसे रोज-ए-आशुरा कहते हैं. सबसे अहम दिन होता है. 1400 साल पहले मुहर्रम के महीने की 10 तारीख को ही इमाम हुसैन को शहीद किया गया था. उसी गम में मुहर्रम की 10 तारीख को ताजिए निकाले जाते हैं.

शिया समुदाय के लोग मातम करते हैं. मजलिस पढ़ते हैं,  काले रंग के कपड़े पहनकर शोक मनाते हैं. यहां तक की शिया समुदाय के लोग मुहर्रम की 10 तारीख  को भूखे प्यासे रहते हैं, क्योंकि इमाम हुसैन और उनके काफिले को लोगों को भी भूखा रखा गया था और भूख की हालत में ही उनको शहीद किया गया था. जबकि सुन्ना समुदाय  के लोग रोजा-नमाज करके अपना दुख जाहिर करते हैं.

Other Festival's & Event's of April

Vaisakhi
Vaisakhi

When - 14th April
Where - All Over India
Vaisakhi, also known as Baisakhi, Vaishakhi, or Vasakhi is a ...

Travel Insight

Manali - A beautiful hill station in Himachal
Manali - A beautiful hill station in Himachal

This time we were ready for Manali by mid Aug 2014, so we booked ...

Top Heritage Hotel in India
Top Heritage Hotel in India

1. Falaknuma Palace, Hyderabad Falaknuma was home of 6th Nizam of ...

Garden of Five Senses Delhi
Garden of Five Senses Delhi

The Garden of Five Senses is a park developed by Delhi Tourism ...

Goa; Another Ambience
Goa; Another Ambience

There is something in the air in Goa that speaks of holidays...of ...

Top travel News

10 more wetlands in India declared as Ramsar sites
10 more wetlands in India declared as Ramsar sites

India has added 10 more wetlands to sites protected by the ...

Two tigers clash for Noor (a tigress) in Ranthambore, video of creepy fight goes viral
Two tigers clash for Noor (a tigress) in Ranthambore, video of creepy fight goes viral

The video of a fight between two tigers for a tigress in Ranthambore ...

The 7th edition of North East Festival to be held in Delhi from Nov 8
The 7th edition of North East Festival to be held in Delhi from Nov 8

Delhi will yet again witness the grandeur of ...

Haryana Day Celebration
Haryana Day Celebration

Every year Haryana day is celebrated on 1st November. This date marks ...

Copyright © cubetodice.com 2017